जोगणी

पुरोहित चंद्रशेखर ‛बेबस’ की कुळूई-पहाड़ी में लिखी एक लघु कथा ज़ेबै मेरी लाड़ी कल्याणी बै उभरदै दूई राती त्राई ध्याड़ै हुऐ, रेशमा साही च़ोढ़ा बगड़ा घाह ता नुहार घाट मुड़दै साही फीरै। मूंडा धुणकी धुणकी ऐ औध मुंई हुई। ता सीभी बै शूरश लागी लागदी, सारे आपणे पराये व्याकल होइऐ Read more…

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