सन् 1907 से 1910 तक कुल्लू के असिस्टेंट कमिश्नर थे, जेरार्ड चार्ल्स लिस्ले हौवेल। वही जिन्होंने व्यास नदी में ब्राउन ट्राउट डलवाई थी, सन् 1909 में। बाद में ये ब्रिटिश पंजाब के “डायरेक्टर ऑफ फ़िशरीज़” भी रहे और इस विषय पर एक पुस्तक भी लिखी।

असिस्टेंट कमिश्नर के अपने कार्यकाल के दौरान हौवेल ने कुल्लू से सम्बंधित कई महत्वपूर्ण जानकारियां एकत्रित कीं और लेख भी लिखे। 1933 में आई हचिसन एवं वोगेल की पुस्तक “हिस्ट्री ऑफ द पंजाब हिल स्टेट्स” में भी इनके कुछ नोट्स छपे। इन्हीं में से एक में तत्कालीन कुल्लू व सराज के राणों व ठाकुरों से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण जानकारियां मिलती हैं।

जेरार्ड चार्ल्स लिस्ले हौवेल (लाहौर, साल 1900)। [स्त्रोत]

होवैल के समय कुल्लू में ठाकुर

हौवेल के इस नोट में उस समय, संभवतः 1907-10, कुल्लू और सराज में 19 ठाकुर कुलों के होने का प्रमाण है:

  • कोठी बड़ागढ़, परोल: कोवेल किले का ठाकुर
  • फाटी नथान, कोठी नगर, परोल: पारशा के ठाकुर
  • बड़ोगी के ठाकुर
  • कोठी काईस, परोल: कोठियागी (कोठियागी के), ठग, कंधरू, लनियाळ, चुमण (कशौरी के), बसम, रगियाल (रोगी के) व दलाल (दौळ के) ठाकुर
  • कोठी शेंशर, रूपी: तुंग व तल्याड़ा के ठाकुर
  • कोठी भलाण, रूपी: दल्याड़ा (लध्याड़ा) के ठाकुर
  • कोठी बनोगी, सराज: दश्याड़ व कटियागी के ठाकुर
  • कोठी बुंगा, सराज: तांदी व ढांगी के ठाकुर
  • सराज: कोट चुनेर के ठाकुर

कुल्लू के ठाकुरों की वंशावली

हौवेल ने इन ठाकुरों के उद्भव व इनके आपसी संबंधों के बारे में भी लिखा:

पारशा ठाकुरों के पुरखे कांगड़ा से आए थे। उन्हें सुकेत के राजा ने ‘रूपी’ का वज़ीर नियुक्त किया था, जब रूपी सुकेत के अधीन थी। पारशा व कोट चुनेर के ठाकुरों को हौवेल ने ‘एक’ कहा है।

बड़ोगी, कंधरू व ठग ठाकुरों को किसी “बोगी” ठाकुर का वंशज बताया है, जो राजा बहादुर सिंह (ई० सन् 1532-59) के हाथों मारा गया था। होवैल के निसार ठग व कंधरू ठाकुर कोट के देटु तथा बुशहर के बुशहरु ठाकुरों से व्याहते थे।

कोठियागी, दलाल व रगियाल ठाकुर, तीनों, किसी कुरलाल ठाकुर के वंशज थे।

हौवेल के अनुसार, तुंग के ठाकुर का पुरखा कोई हुल ठाकुर था, जिसे बहादुर सिंह के सेनापति ठाकुर हाथी ने परास्त किया था।

दश्याड़ का ठाकुर कशौली (रूपी) के किसी बीरचंद ठाकुर का वंशज था, जिसने राजा बहादुर सिंह के समक्ष आत्मसमर्पण किया था।

कटियागी ठाकुरों का पूर्वज नंद-सुर्जन था, जिसे बहादुर सिंह ने मारा था। दल्याड़ा (लध्याड़ा) के ठाकुर को हौवेल ने सेनापति हाथी ठाकुर का वंशज बताया है। हौवेल के अनुसार दश्याड़, कटियागी, तांदी व तल्याड़ा के ठाकुर आपस में व्याहते थे।

होवैल के समय कुल्लू में राणा

हौवेल ने कुल्लू में केवल एक राणा परिवार के होने का ज़िक्र किया है, ‘अलेऊ’ में। ये राणा झीणा के वंशज थे और आज भी अलेऊ गाँव में हैं।


सन्दर्भ

हचिसन एवं वोगेल (1933). हिस्ट्री ऑफ द पंजाब हिल स्टेट्स।


0 Comments

Leave a Reply

Sorry, you cannot copy the contents of this page.

Discover more from Tharah Kardu

Subscribe now to keep reading and get access to the full archive.

Continue reading