बजौरा के सांस्कृतिक अवशेष | सोमसी आलेख (1979)

सांस्कृतिक अवशेषों का समन्वित एवं सौष्ठव पूर्ण संग्रह केवल उन्हीं स्थलों पर उपलब्ध होता है जहां सांस्कृतिक जन-समुदायों ने जमकर निर्माण कार्य किया हो एवं भौगोलिक दृष्टि से सांस्कृतिक निर्माण कार्य के लिए स्थल-विशेष को उपयुक्त पाया हो। कुल्लू की देवघाटी में बजौरा या हाट (हाट बाजार) अनेकानेक संस्कृतियों का प्रवेश द्वार रहा है। जब त्रिगर्त की ओर से कुल्लू घाटी में उतरने वाली संस्कृतियों ने व्यासा के उद्गम को पाने का उपक्रम किया, हाट बजौरा इन संस्कृतियों का स्वाभाविक अध्यागत बना।

A Himalayan Arcadia (1909)

While Tyacke’s account is flawed by its colonial biases and generalizations, it still offers an engaging reading experience for those who appreciate rich descriptive writing, early travel narratives, and cultural history. Approached with a critical eye, the article can be both an enjoyable read and a thought-provoking exploration of how places and peoples were portrayed in colonial-era literature.

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