कुल्लूई रीति रिवाज़ (1910)

कुल्वी किसान एक दिन में चार भोजन लेता है; नोहारी, कलारी, दपोहरी, और ब्याली। ये प्रायः आंग्ल-भारतीयों के छोटा हाज़री, नाश्ता, टिफिन और डिन्नर के साथ मेल खाते हैं; और दोनों ही मामलों में दूसरा और चौथा सबसे महत्वपूर्ण है, जबकि पहला और तीसरा हल्के आहार हैं। नोहारी पिछली रात का बचा हुआ खाना होता है और किसान घर से अपने खेतों में काम पर जाने से पहले यही खाता है। यदि उसे ज्यादा दूर नहीं जाना है तो वह नौ या दस बजे नाश्ते के लिए घर लौटता है, लेकिन आम तौर पर मजदूरों के लिए भोजन घर की महिलाओं द्वारा ही पका कर लाया जाता है।

कुल्लू व सराज के ‘ठाकुर’ और ‘राणा’ (1907-10)

सन् 1907 से 1910 तक कुल्लू के असिस्टेंट कमिश्नर थे, जेरार्ड चार्ल्स लिस्ले हौवेल। वही जिन्होंने व्यास नदी में ब्राउन ट्राउट डलवाई थी, सन् 1909 में। बाद में ये ब्रिटिश पंजाब के “डायरेक्टर ऑफ फ़िशरीज़” भी रहे और इस विषय पर एक पुस्तक भी लिखी। असिस्टेंट कमिश्नर के अपने कार्यकाल Read more…

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