बजौरा के सांस्कृतिक अवशेष | सोमसी आलेख (1979)

सांस्कृतिक अवशेषों का समन्वित एवं सौष्ठव पूर्ण संग्रह केवल उन्हीं स्थलों पर उपलब्ध होता है जहां सांस्कृतिक जन-समुदायों ने जमकर निर्माण कार्य किया हो एवं भौगोलिक दृष्टि से सांस्कृतिक निर्माण कार्य के लिए स्थल-विशेष को उपयुक्त पाया हो। कुल्लू की देवघाटी में बजौरा या हाट (हाट बाजार) अनेकानेक संस्कृतियों का प्रवेश द्वार रहा है। जब त्रिगर्त की ओर से कुल्लू घाटी में उतरने वाली संस्कृतियों ने व्यासा के उद्गम को पाने का उपक्रम किया, हाट बजौरा इन संस्कृतियों का स्वाभाविक अध्यागत बना।

कुल्लू का मोहक लोक-नृत्य: नाटी | सोमसी आलेख (1976)

हिमाचल कला, संस्कृति एवं भाषा अकादमी की त्रैमासिक शोध पत्रिका सोमसी के वर्ष 2 अंक 3 (जुलाई 1976) में छपा पुरोहित चन्द्रशेखर ‘बेबस’ जी का एक लेख। महाभारत में किसी ‘उत्सव क्षेत्र’ का उल्लेख मिलता है। वह ठहरता तो हर हाल में हिमाचल प्रदेश में ही है पर कुछ विद्वानों Read more…

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