पहाड़ी में रचित साहित्य यात्रा और मूल्यांकन | हिमप्रस्थ आलेख (2020)

सूचना एवं जन-सम्पर्क विभाग, हिमाचल प्रदेश की मासिक पत्रिका हिमप्रस्थ, वर्ष 2019-20 के संयुक्तांक 11-12 (फरवरी-मार्च, 2020) में छपा सुदर्शन वशिष्ठ जी द्वारा लिखित एक आलेख। यूं तो किसी भी भाषा का निर्माण सदियों से चली आ रही परंपरा और संस्कारों से होता है। समय के अनंतर उसके साहित्य का Read more…

पहाड़ी भाषा और साहित्य का इतिहास तथा उपलब्धियां | सोमसी आलेख (1990)

हिमाचल कला, संस्कृति और भाषा अकादमी की त्रैमासिक पत्रिका सोमसी के संयुक्तांक 63-64 (जुलाई व अक्तूबर, वर्ष 1990) में छपा डॉ० पीयूष गुलेरी तथा डॉ० बंशीराम शर्मा द्वारा लिखित एक आलेख। समाज में मानव का आधा भाग भाषा ही माना जाता है। जिस प्रकार मनुष्य की कोई परिभाषा कठिन है, Read more…

जोगणी

पुरोहित चंद्रशेखर ‛बेबस’ की कुळूई-पहाड़ी में लिखी एक लघु कथा ज़ेबै मेरी लाड़ी कल्याणी बै उभरदै दूई राती त्राई ध्याड़ै हुऐ, रेशमा साही च़ोढ़ा बगड़ा घाह ता नुहार घाट मुड़दै साही फीरै। मूंडा धुणकी धुणकी ऐ औध मुंई हुई। ता सीभी बै शूरश लागी लागदी, सारे आपणे पराये व्याकल होइऐ Read more…

कुलुई प्रकाशित साहित्य | सोमसी आलेख (1979)

हिमाचल कला, संस्कृति और भाषा अकादमी की त्रैमासिक पत्रिका सोमसी के जनवरी-1979 अंक में छपा डॉ० बलदेव कुमार ठाकुर द्वारा एक आलेख। पहाड़ी भाषा और उस के साहित्य पर लिखने के लिए ज्यों ही साहस किया जाता है, तभी क्षण भर के लिए लेखनी रुक सी जाती है। कारण, पहाड़ी Read more…

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